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«اللهُمَّ بَاعِدْ بَيْنِي وَبَيْنَ خَطَايَايَ كَمَا بَاعَدْتَ بَيْنَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ، اللهُمَّ نَقِّنِي مِنْ خَطَايَايَ كَمَا يُنَقَّى الثَّوْبُ الْأَبْيَضُ مِنَ الدَّنَسِ، اللهُمَّ اغْسِلْنِي مِنْ خَطَايَايَ بِالثَّلْجِ وَالْمَاءِ وَالْبَرَدِ»
{وهو من أدعية استفتاح الصلاة}

“अल्लाहुम्मा बाइद् बैनी व बैना खतायाया कमा बाअद्ता बैनल मश्रिक़ि वल मग़्रिबि, अल्लाहुम्मा नक़्क़िनी मिन् खतायाया कमा युनक़्क़स्सौबुल अब्यज़ो मिनद्-दनसि, अल्लाहुम्मग़्सिलनी मिन् खतायाया बिस्सल्जि वल्माए वल बरद”

“ऐ अल्लाह! तू मेरे बीच और मेरे गुनाहों के बीच ऐसी दूरी कर दे जैसी दूरी तूने पूरब और पश्चिम के बीच की है ऐ अल्लाह! मुझे मेरे गुनाहों से इस तरह पवित्र कर दे जिस तरह सफ़ेद कपड़ा मैल-कुचैल से साफ़ किया जाता है ऐ अल्लाह! मुझे मेरे गुनाहों से बर्फ, पानी और ओलों के साथ धुल दे”

(यह नमाज़ शुरू करने की दुआओं में से है)

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