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«اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ مَا عَمِلْتُ وَشَرِّ مَا لَمْ أَعْمَلْ»
{وهو أكثر دعاء النبي صلى الله عليه وسلم}

“ अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिन् शर्रि मा अमिल्तु व शर्रि मा लम् आ’मल्”

“ऐ अल्लाह! मैं तेरी शरण चाहता हूँ उस काम की बुराई से जो मैंने किया और उसकी बुराई से जो मैंने नहीं किया”

(नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम यह दुआ अक्सर किया करते थे)

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