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पहला : दुआ करने वाले को चाहिए कि विशुद्ध रूप से अल्लाह सर्वशक्‍तिमान से दुआ करे और निश्चित रूप से यह जान ले कि एकमात्र अल्लाह ही उसकी दुआ को स्वीकार करने में सक्षम है इसलिए वह अल्लाह सर्वशक्‍तिमान के अलावा किसी अन्य से दुआ न करे और उसके अलावा किसी और का वसीला न पकड़े, चाहे वह कोई नबी, या कोई सदाचारी, या फ़रिश्ता, या नेक बंदा, या कोई भी हो अल्लाह तआला ने फरमाया : ﴿فَٱدۡعُواْ ٱللَّهَ مُخۡلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ)“अतः तुम अल्लाह को, उसके लिए धर्म को विशुद्ध करते हुए पुकारो” [सूरत गाफ़िर : 14]

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