قال الله تعالى:
﴿وَإِذَا سَأَلَكَ عِبَادِي عَنِّي فَإِنِّي قَرِيبٌۖ أُجِيبُ دَعۡوَةَ ٱلدَّاعِ إِذَا دَعَانِۖ فَلۡيَسۡتَجِيبُواْ لِي وَلۡيُؤۡمِنُواْ بِي لَعَلَّهُمۡ يَرۡشُدُونَ١٨٦﴾
(हे नबी!) जब मेरे भक्त मेरे विषय में आपसे प्रश्न करें, तो उन्हें बता दें कि निश्चय मैं समीप हूँ। मैं प्रार्थी की प्रार्थना का उत्तर देता हूँ। अतः, उन्हें भी चाहिये कि मेरे आज्ञाकारी बनें तथा मुझपर ईमान (विश्वास) रखें, ताकि वे सीधी राह पायें।
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