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«اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ سَمْعِي، وَمِنْ شَرِّ بَصَرِي، وَمِنْ شَرِّ لِسَانِي، وَمِنْ شَرِّ قَلْبِي، وَمِنْ شَرِّ مَنِيِّي»

“अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिन् शर्रि सम्ई, वमिन् शर्रि बसरी, वमिन् शर्रि लिसानी, वमिन् शर्रि क़ल्बी, वमिन् शर्रि मनिय्यी”

“ऐ अल्लाह! मैं अपने कान की बुराई से, अपनी आँख की बुराई से, अपनी ज़बान की बुराई से, अपने दिल की बुराई से और अपने वीर्य (गुप्तांग) की बुराई से, तेरी शरण लेता हूँ”

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