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«اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الهَمِّ وَالحَزَنِ، وَالعَجْزِ وَالكَسَلِ، وَالبُخْلِ وَالجُبْنِ، وَضَلَعِ الدَّيْنِ، وَغَلَبَةِ الرِّجَالِ»

“अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिनल् हम्मि वल-ह-ज़नि, वल-अज्ज़ि वल-क-सलि, वल-बुख़्लि वल-जुब्नि, व ज़-ल-इद्दैनि, व-ग़लबतिर्रिजालि”

“ऐ अल्लाह! मैं चिंता, दुःख, विवशता (बे-बसी), आलस्य, कंजूसी, कायरता, ऋण (क़र्ज़) के बोझ और लोगों के अनाधिकार वर्चस्व (ग़लबा) से तेरी शरण लेता हूँ”

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