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«اللَّهمَّ إنِّي أَعُوْذُ بِكَ مِنْ جَهْدِ البَلاَءِ، وَدَرَكِ الشَّقَاءِ، وَسُوءِ القَضَاءِ، وَشَمَاتَةِ الأَعْدَاءِ»

“अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिन् जह्दिल बलाए, व दरकिश्शक़ाए, व सूअल-क़ज़ाए, व शमाततिल आ’दाए”

“ऐ अल्लाह! मैं विपत्ति (परीक्षण) के कष्ट, दुर्भाग्य से पीड़ित होने, बुरी क़ज़ा (बुरे फैसले) और दुश्मनों के खुश होने से तेरी शरण लेता हूँ”

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