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«اللهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ زَوَالِ نِعْمَتِكَ، وَتَحَوُّلِ عَافِيَتِكَ، وَفُجَاءَةِ نِقْمَتِكَ، وَجَمِيعِ سَخَطِكَ»

“अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिन् ज़वालि ने’मतिक, व तह़व्वुलि आफ़ियतिक, व फ़ुजाअति निक़मतिक, व जमीए सख़तिक”

“ऐ अल्लाह! मैं तेरी नेमत के छिन जाने, तेरी आफ़ियत के बदल जाने, अचानक तेरे अज़ाब के आने और तेरे हर प्रकार के क्रोध से तेरी शरण में आता हूँ”

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