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«اللهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ يَوْمِ السَّوْءِ، وَمِنْ لَيْلَةِ السَّوْءِ، وَمِنْ سَاعَةِ السَّوْءِ، وَمِنْ صَاحِبِ السَّوْءِ، وَمِنْ جَارِ السَّوْءِ فِي دَارِ الْمُقَامَةِ»

“अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिन् यौमिस्सूए, व मिन् लैलतिस्सूए, व मिन् साअतिस्सूए, व मिन् साहिबस्सूए, व मिन् जारिस्सूए फी दारिल-मुक़ामति”

“ऐ अल्लाह! मैं बुरे दिन से, बुरी रात से, बुरी घड़ी से, बुरे साथी से और निवास स्थान में बुरे पड़ोसी (अर्थात् निवासी पड़ोसी की बुराइयों) से तेरी शरण चाहता हूँ”

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