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«اللهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِعِزَّتِكَ، لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ، أَنْ تُضِلَّنِي، أَنْتَ الْحَيُّ الَّذِي لَا يَمُوتُ، وَالْجِنُّ وَالْإِنْسُ يَمُوتُونَ»

“अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बि-इज़्ज़तिका, ला इलाहा इल्ला अन्ता, अन् तुज़िल्लनी, अन्तल ह़य्युल-लज़ी ला यमूतो, वल-जिन्नु वल-इन्सु यमूतून”

“ऐ अल्लाह! मैं तेरे प्रभुत्व की शरण में आता हूँ, तेरे अलावा कोई सच्चा पूज्य नहीं, इस बात से कि तू मुझे पथभ्रष्ठ कर दे तू वह परम जीवित है जो कभी नहीं मरता, तथा जिन्न और पुरुष मर जाते हैं”

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