«رَبِّ أَعِنِّي وَلاَ تُعِنْ عَلَيَّ، وَانْصُرْنِي وَلاَ تَنْصُرْ عَلَيَّ، وَامْكُرْ لِي وَلاَ تَمْكُرْ عَلَيَّ، وَاهْدِنِي وَيَسِّرِ الهُدَى لِي، وَانْصُرْنِي عَلَى مَنْ بَغَى عَلَيَّ، رَبِّ اجْعَلْنِي لَكَ شَكَّارًا، لَكَ ذَكَّارًا، لَكَ رَهَّابًا، لَكَ مِطْوَاعًا، لَكَ مُخْبِتًا، إِلَيْكَ أَوَّاهًا مُنِيبًا، رَبِّ تَقَبَّلْ تَوْبَتِي، وَاغْسِلْ حَوْبَتِي، وَأَجِبْ دَعْوَتِي، وَثَبِّتْ حُجَّتِي، وَسَدِّدْ لِسَانِي، وَاهْدِ قَلْبِي، وَاسْلُلْ سَخِيمَةَ صَدْرِي»
“रब्बि अ-इन्नी वला तुइन् अलय्या, वन्सुर्नी वला तन्सुर अलय्या, वमकुर् ली वला तम-कुर अलय्या, वह्दिनी व-यस्सिरिल-हुदा ली, वन्सुर्नी अला मन् बग़ा अलय्या, रब्बिज-अल्नी लका शक्कारा, लका ज़क्कारा, लका रह्हाबा, लका मित्वाआ, लका मुख़्बिता, इलैका अव्वाहम्-मुनीबा, रब्बि तक़ब्बल तौबती, वग़्सिल ह़ौबती, व-अजिब दा’वती, व सब्बित ह़ुज्जती, सद्दिद् लिसानी, वह्दि क़ल्बी, वस्लुल सख़ीमता सद्री”
“ऐ मेरे पालनहार! मेरी मदद कर और मेरे विरुद्ध (किसी की) मदद न कर, और मेरा समर्थन कर और मेरे विरुद्ध किसी का समर्थन न कर, और मेरे लिए उपाय कर (योजना बना) और मेरे विरुद्ध किसी के उपाय (योजना) को सफल न होने दे, और मेरा मार्गदर्शन कर और मार्गदर्शन को मेरे लिए आसान कर दे, और उस व्यक्ति के विरुद्ध मेरी सहायता कर जो मुझ पर अत्याचार करे ऐ मेरे पालनहार! मुझे अपना बहुत आभारी, अपना बहुत अधिक ज़िक्र करने वाला, अपना बहुत डरने वाला, अपना आज्ञाकारी, अपना विनम्र और समर्पित, बहुत रोने-गिड़गिड़ाने वाला तथा अपनी ओर बहुत लौटने वाला और पश्चाताप करने वाला बंदा बना ले ऐ मेरे पालनहार! मेरी तौबा स्वीकार कर, मेरे पाप धो दे, मेरी दुआ क़बूल कर, मेरे तर्क (प्रमाण) को स्थापित (सुदृढ़) कर दे, मेरी ज़बान को सीधी (दुरुस्त) कर दे, मेरे दिल का मार्गदर्शन कर और मेरे दिल से ईर्ष्या और कपट को बाहर निकाल दे”