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«اللهُمَّ اقْسِمْ لَنَا مِنْ خَشْيَتِكَ مَا تَحُولُ بَيْنَنَا وَبَيْنَ مَعَاصِيكَ، وَمَنْ طَاعَتِكَ مَا تُبَلِّغُنَا بِهِ جَنَّتَكَ، وَمَنَ الْيَقِينِ مَا تُهَوِّنُ عَلَيْنَا مَصَائِبَ الدُّنْيَا، اللهُمَّ أَمْتِعْنَا بِأَسْمَاعِنَا، وَأَبْصَارِنَا، وَقُوَّتِنَا مَا أَحْيَيْتَنَا، وَاجْعَلْهُ الْوَارِثَ مِنَّا، وَاجْعَلْ ثَأْرَنَا عَلَى مَنْ ظَلَمْنَا، وَانْصُرْنَا عَلَى مَنْ عَادَانَا، وَلَا تَجْعَلْ مُصِيبَتَنَا فِي دِينِنَا، وَلَا تَجْعَلِ الدُّنْيَا أَكْثَرَ هَمِّنَا، وَلَا مَبْلَغَ عِلْمِنَا، وَلَا تُسَلِّطْ عَلَيْنَا مَنْ لَا يَرْحَمُنَا»

“अल्लाहुम्मक़्-सिम् लना मिन् ख़श्यतिका मा तह़ूलो बैनना व बैना मआसीका, वमिन् ताअतिका मा तुबल्लिग़ुना बिहि जन्नतका, वमिनल-यक़ीनि मा तुहव्विनो अलैना मसाईबद्दुन्या, अल्लाहुम्मा अम्ते’ना बि-अस्माएना, व अब्सारिना, व क़ुव्वतिना मा अह़्यय्तना, वज्-अल्हुल-वारिसा मिन्ना, वज्-अल सा’रना अला मन् ज़-ल-मना, वन्सुर्ना अला मन आदाना, वला तज्-अल मुसीबतना फी दीनिना, वला तज्-अलिद्दुन्या अक्सरा हम्मिना, वला मब्लग़ा इल्मिना, वला तुसल्लित् अलैना मन् ला यर्-ह़मुना”

“ऐ अल्लाह! तू हमें अपने डर का इतना अंश प्रदान कर, जो हमारे और तेरी अवज्ञाओं के बीच बाधा बन जाए, और अपनी आज्ञाकारिता का इतना हिस्सा प्रदान कर जिसके कारण तू हमें अपनी जन्नत तक पहुँचा दे, और हमें इतना यक़ीन (दृढ़ विश्वास) प्रदान कर जिससे तू हमपर दुनिया की विपत्तियों को आसान कर दे ऐ अल्लाह! तू जब तक हमें जीवित रख, हमें अपने कानों, अपनी आँखों और अपनी शक्ति से लाभ उठाने का सामर्थ्य प्रदान कर, और इस (लाभ उठाने) को हमारा वारिस (अर्थात् हमारी मृत्यु के बाद तक बाक़ी रहने वाला) बना, और हमारा बदला (प्रतिशोध) उससे ले जो हमपर अत्याचार करे, और जो हमसे दुश्मनी करे उसपर हमें विजय प्रदान कर, और हमारी विपत्ति (दुर्भाग्य) हमारे धर्म में न बना, और दुनिया को हमारी सबसे बड़ी चिंता और हमारे ज्ञान का अंत (लक्ष्य) न बना, और हम पर किसी ऐसे व्यक्ति को प्रभुत्व प्रदान न कर, जो हम पर दया न करे”

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