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«اللَّهُمَّ إِنَّكَ عُفُوٌّ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي»

“अल्लाहुम्मा इन्नका अफ़ुव्वुन तुह़िब्बुल-अफ़्वा, फ़ा’फ़ु अन्नी”

“ऐ अल्लाह! तू अत्यंत क्षमा और माफ़ी वाला है, और क्षमा करने को पसंद करता है अतः तू मुझे क्षमा और माफी प्रदान कर”

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