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«اللهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ جَهَنَّمَ، وَمِنْ عَذَابِ الْقَبْرِ، وَمِنْ فِتْنَةِ الْمَحْيَا وَالْمَمَاتِ، وَمِنْ شَرِّ فِتْنَةِ الْمَسِيحِ الدَّجَّالِ»
{وهو دعاء يُشرع قوله في التشهد الأخير قبل السلام}

अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिन् अज़ाबि जहन्नम, व मिन् अज़ाबिल क़ब्र, व मिन फित्नतिल मह़्या वल ममात, व मिन् शर्रि फित्नतिल मसीह़िद्दज्जाल।

“ऐ अल्लाह! मैं जहन्नम की यातना से, और क़ब्र की यातना से, और जीवन और मृत्यु के फित्ने से, तथा मसीह दज्जाल के फित्ने की बुराई से तेरी पनाह चाहता हूँ”

(यह दुआ अंतिम तशह्हुद में सलाम फेरने से पहले पढ़ना धर्मसंगत है)

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