«اللهُمَّ اجْعَلْ لِي فِي قَلْبِي نُورًا، وَفِي لِسَانِي نُورًا، وَفِي سَمْعِي نُورًا، وَفِي بَصَرِي نُورًا، وَمِنْ فَوْقِي نُورًا، وَمِنْ تَحْتِي نُورًا، وَعَنْ يَمِينِي نُورًا، وَعَنْ شِمَالِي نُورًا، وَمِنْ بَيْنِ يَدَيَّ نُورًا، وَمِنْ خَلْفِي نُورًا، وَاجْعَلْ فِي نَفْسِي نُورًا، وَأَعْظِمْ لِي نُورًا»
{وهو دعاء يُشرع قوله في السجود خاصة في صلاة الليل}
“अल्लाहुम्मज्-अल ली फी क़ल्बी नूरा, व फी लिसानी नूरा, व फी सम्ई नूरा, व फी बसरी नूरा, व मिन फ़ौक़ी नूरा, व मिन तह़्ती नूरा, व अन् यमीनी नूरा, व अन शिमाली नूरा, व मिन् बैनि यदय्या नूरा, व मिन ख़ल्फ़ी नूरा, वज्अल फी नफ़्सी नूरा, व आज़िम ली नूरा”
“ऐ अल्लाह! मेरे दिल में प्रकाश पैदा कर दे, मेरी ज़बान में प्रकाश पैदा कर दे, मेरे कान में प्रकाश पैदा कर दे, मेरी आँख में प्रकाश पैदा कर दे, मेरे ऊपर से प्रकाश कर दे, मेरे नीचे से प्रकाश कर दे, मेरे दाएँ प्रकाश कर दे, मेंरे बाएँ प्रकाश कर दे, मेरे आगे प्रकाश कर दे, मेरे पीछे प्रकाश कर दे और मेरे प्राण में प्रकाश भर दे और मेरे लिए प्रकाश को बहुत अधिक कर दे”
(यह दुआ सज्दे में पढ़ना धर्मसंगत है, विशेष रूप से रात की नमाज़ – तहज्जुद - में)