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«اللهُمَّ اغْفِرْ لِي ذَنْبِي كُلَّهُ دِقَّهُ، وَجِلَّهُ، وَأَوَّلَهُ وَآخِرَهُ وَعَلَانِيَتَهُ وَسِرَّهُ»
{وهو دعاء يُشرع قوله في السجود}

“अल्लाहुम्मग़-फ़िर् ली ज़ंबी कुल्लहू दिक़्क़हू, व जिल्लहू, व अव्वलहू व आख़िरहू, व अलानियतहू व सिर्रहू”

“ऐ अल्लाह मेरे थोड़े और अधिक, पहले और पिछले, खुले और छिपे, सभी पापों को क्षमा कर दे”

(यह दुआ सज्दे में पढ़ना धर्मसंगत है)

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