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«رَبِّ قِنِي عَذَابَكَ يَوْمَ تَبْعَثُ عِبَادَكَ»
{وهو دعاء يُشرع قوله في الصلاة فيقال في السجود أو بعد التشهد الأخير قبل السلام}

रब्बि क़िनी अज़ाबका यौमा तब्असु इबादक्

“ऐ मेरे पालनहार! तू मुझे उस दिन अपनी यातना से बचा, जिस दिन तू अपने बंदों को उठाएगा”

(यह दुआ नमाज़ में पढ़ना धर्मसंगत है इसलिए इसे सज्दे में या अंतिम तशह्हुद में सलाम फेरने से पहले पढ़ना चाहिए)

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