21

﴿رَبِّ أَوْزِعْنِي أَنْ أَشْكُرَ نِعْمَتَكَ الَّتِي أَنْعَمْتَ عَلَيَّ وَعَلَى وَالِدَيَّ وَأَنْ أَعْمَلَ صَالِحًا تَرْضَاهُ وَأَدْخِلْنِي بِرَحْمَتِكَ فِي عِبَادِكَ الصَّالِحِينَ﴾ [النمل: ۱٩]

“ऐ मेरे पालनहार! मुझे सामर्थ्य प्रदान कर कि मैं तेरी उस कृपा पर आभार प्रकट करूँ, जो तूने मुझपर और मेरे माँ-बाप पर की है और यह कि मैं अच्छा कर्म करूँ जो तुझे पसंद आए और अपनी दया से मुझे अपने सदाचारी बंदों में दाखिल कर” [अन-नम्ल : 19]

21/22