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﴿رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَاماً﴾ [الفرقان: ٧٤]
“ऐ हमारे पालनहार! हमें हमारी पत्नियों और हमारी संतान से आँखों की ठंडक प्रदान कर और हमें परहेज़गारों का नायक बना दे” [अल-फ़ुरक़ान : 74]