«اللَّهُمَّ رَبَّنَا لَكَ الحَمْدُ أَنْتَ قَيِّمُ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ، وَلَكَ الحَمْدُ أَنْتَ رَبُّ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ وَمَنْ فِيهِنَّ، وَلَكَ الحَمْدُ أَنْتَ نُورُ السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ وَمَنْ فِيهِنَّ، أَنْتَ الحَقُّ، وَقَوْلُكَ الحَقُّ، وَوَعْدُكَ الحَقُّ، وَلِقَاؤُكَ الحَقُّ، وَالجَنَّةُ حَقٌّ، وَالنَّارُ حَقٌّ، (وَالنَّبِيُّونَ حَقٌّ، وَمُحَمَّدٌ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ حَقٌّ) وَالسَّاعَةُ حَقٌّ، اللَّهُمَّ لَكَ أَسْلَمْتُ، وَبِكَ آمَنْتُ، وَعَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ، (وَإِلَيْكَ أَنَبْتُ) وَإِلَيْكَ خَاصَمْتُ، وَبِكَ حَاكَمْتُ، فَاغْفِرْ لِي مَا قَدَّمْتُ وَمَا أَخَّرْتُ، وَأَسْرَرْتُ وَأَعْلَنْتُ، وَمَا أَنْتَ أَعْلَمُ بِهِ مِنِّي، (أَنْتَ المُقَدِّمُ، وَأَنْتَ المُؤَخِّرُ) لاَ إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ»
“अल्लाहुम्मा लकल ह़म्दु, अन्ता क़य्यिमुस-समावाति वल-अर्ज़ि, व लकल ह़म्दु अन्ता रब्बुस-समावाति वल-अर्ज़ि व मन् फीहिन्ना, व लकल ह़म्दु अन्ता नुरुस-समावाति वल-अर्ज़ि व मन फीहिन्ना, अन्तल-हक्क़ु, व क़ौलुका हक्क़ु, व वा’दुकल- हक्क़ु, व लिक़ाउकल हक्क़ु, वल-जन्नतु हक्क़ुन, वन्नारु हक्क़ुन, (वन-नबिय्यूना हक्क़ुन, व मुहम्मदुन सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हक़्क़ुन) वस्साअतु ह़क़्क़ुन, अल्लाहुम्मा लका अस्लमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलैका तवक्कलतु, (व-इलैका अनब्तु) व-इलैका ख़ासम्तु, व-बिका ह़ाकम्तु, फ़ग़्फ़िरली मा क़द्दम्तु वमा अख़्ख़रतु, व-अस्ररतु व-आलन्तु, वमा अन्ता आ’लमु बिही मिन्नी, (अन्तल मुक़द्दिमु, व अन्तल मुअख़्ख़िरु) ला इलाहा इल्ला अन्ता”
“ऐ अल्लाह हमारे पालनहार, तेरे ही लिए सब प्रशंसा है, तू ही आकाशों और धरती का थामने वाला है और तेरे ही लिए सब प्रशंसा है, तू ही आकाशों और धरती का और जो कुछ उनमें हैं, सबका पालनहार है और तेरे ही लिए सब प्रशंसा है, तू ही आकाशों और धरती का प्रकाश है और उनका भी (प्रकाश है) जो उनमें हैं तू सत्य है, तोरी बात सत्य है, तेरा वादा सत्य है, तेरी मुलाक़ात सत्य है, जन्नत सत्य है, जहन्नम सत्य है, (नबी सत्य हैं, और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सत्य हैं), क़ियामत सत्य है ऐ अल्लाह मैं तेरे लिए मुसलमान (आज्ञाकारी) हुआ, और तुझी पर मैं ईमान लाया और तुझी पर मैं ने भरोसा किया, (और तेरी ही तरफ् लौटा) और तेरी ही ओर मैं अपना झगड़ा लेकर गया, और तेरी ही ओर निर्णय के लिए गया इसलिए मेरा वह गुनाह बख्श दे जो मैंने पहले किया और जो पीछे किया और जो मैंने छिपा कर किया और जो मैंने ज़ाहिर में किया और वह भी जिसे तू मुझसे अधिक जानता है, (तू ही सबसे पहले है और तू ही सबसे बाद में है) तेरे सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं”