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«رَبَّنَا لَكَ الْحَمْدُ مِلْءُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ، وَمِلْءُ مَا شِئْتَ مِنْ شَيْءٍ بَعْدُ، أَهْلَ الثَّنَاءِ وَالْمَجْدِ، أَحَقُّ مَا قَالَ الْعَبْدُ، وَكُلُّنَا لَكَ عَبْدٌ: اللهُمَّ لَا مَانِعَ لِمَا أَعْطَيْتَ، وَلَا مُعْطِيَ لِمَا مَنَعْتَ، وَلَا يَنْفَعُ ذَا الْجَدِّ مِنْكَ الْجَدُّ»

“रब्बना लकल्-हम्दु, मिल्उस्-समावाति वल अर्ज़ि, व-मिल्ओ मा शेअ्ता मिन शैइन बअ्दु। अहलस्सनाए वल मज्दि, अहक़्क़ो मा क़ालल्-अब्दु, व कुल्लुना लका अब्दुन : अल्लाहुम्मा ला मानिआ लिमा आतैता वला मोअ्तिया लिमा मनअ्ता वला यन्फ़ओ ज़ल-जद्दि मिनकल जद्दो”

“ऐ हमारे रब! तेरे ही लिए सब प्रशंसा है आकाशों और धरती के बराबर, और जो कुछ तू इसके बाद चाहे, उसके बराबर तू ही प्रशंसा और महिमा के योग्य है सबसे सच्ची बात जो बंदे ने कही - और हम सब तेरे बंदे हैं - यह है : ऐ अल्लाह! जो तू दे, उसे कोई रोकने वाला नहीं और जो तू रोक ले, उसे कोई देने वाला नहीं, और किसी धनवान को उसका धन तेरे यहाँ कोई लाभ नहीं पहुँचा सकता”

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