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﴿الْحَمْدُ لِلَّهِ فَاطِرِ السَّمَوَاتِ وَالأرْضِ جَاعِلِ الْمَلائِكَةِ رُسُلا أُولِي أَجْنِحَةٍ مَثْنَى وَثُلاثَ وَرُبَاعَ يَزِيدُ فِي الْخَلْقِ مَا يَشَاءُ إِنَّ اللَّهَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ﴾ [فاطر: ۱]
“सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो आकाशों तथा धरती का पैदा करने वाला है, (और) दो-दो, तीन-तीन, चार-चार परों वाले फ़रिश्तों को संदेशवाहक बनाने वाला है वह संरचना में जैसी चाहता है अभिवृद्धि करता है निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है” [फ़ातिर : 1]