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«اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِأَنَّ لَكَ الْحَمْدُ، لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ الْمَنَّانُ، بَدِيعُ السَّمَوَاتِ وَالْأَرْضِ، يَا ذَا الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ، يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ»
{ورد في الحديث أن هذا الدعاء هو اسم الله الأعظم الذي إذا دُعي به أجاب وإذا سُئل به أعطى}

“अल्लाहुम्मा इन्नी अस्अलुका बि-अन्ना लकल ह़म्दु, ला इलाहा इल्ला अन्तल-मन्नानु, बदीउस्समावाति वल-अर्ज़ि, या ज़ल-जलालि वल-इकरामि, या ह़य्यु या क़य्यूमु”

“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे माँगता हूँ इस बात के हवाले से कि हर प्रकार की प्रशंसा तेरे ही लिए है, तेरे सिवा कोई इबादत के योग्य नहीं तू बहुत उपकार करने वाला, आकाशों तथा धरती को बिना पूर्व उदाहरण के बनाने वाला है, ऐ महिमा और सम्मान वाले! ऐ परम जीवित! ऐ सब कुछ थामने वाले!”

(हदीस में यह उल्लेख किया गया है कि यह दुआ अल्लाह का “इस्मे आज़म” यानी सबसे बड़ा नाम है कि जिसके द्वारा अगर दुआ की जाए तो अल्लाह क़बूल करता है और यदि कुछ माँगा जाए, तो वह प्रदान करता है)

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