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«لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، اللهُ أَكْبَرُ كَبِيرًا، وَالْحَمْدُ لِلَّهِ كَثِيرًا، سُبْحَانَ اللهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ، لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللهِ الْعَزِيزِ الْحَكِيمِ»

“ला इलाहा इल्लल्लाहु वह़्दहू ला शरीका लहू, अल्लाहु अक्बरु कबीरा, वल-ह़म्दुलिल्लाहि कसीरा, सुब्ह़ानल्लाहि रब्बिल आलमीन, ला ह़ौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अज़ीज़िल ह़कीम”

“अल्लाह के अलावा कोई इबादत के योग्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं अल्लाह सबसे बड़ा है बहुत बड़ा और सब प्रशंसा केवल अल्लाह ही के लिए है बहुत अधिक अल्लाह बहुत पाक है जो सर्व संसार का पालनहार है प्रभुत्वशाली और हिकमत वाले अल्लाह की तौफीक़ के बिना न बुराई से बचने की शक्ति है और न नेकी करने की ताक़त”

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