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«اللَّهُمَّ إِنِّي أُشْهِدُكَ وَأُشْهِدُ مَلَائِكَتَكَ وَحَمَلَةَ عَرْشِكَ، وَأُشْهِدُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَمَنْ فِي الْأَرْضِ، أَنَّكَ أَنْتَ اللَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ وَحْدَكَ لَا شَرِيكَ لَكَ، وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُكَ وَرَسُولُكَ»

“अल्लाहुम्मा इन्नी उशहिदुका व-उशहिदु मलाईकतका व-ह-म-लता अर्शिका, व-उशहिदु मन् फ़िस-समावाति व-मन् फ़िल-अर्ज़ि, अन्नका अन्तल्लाहु ला इलाहा इल्ला अन्ता वह़्दका ला शरीका लका, व-अश्हदु अन्ना मुह़म्मदन अब्दुका व-रसूलुका”

“ऐ अल्लाह! मैं तुझे गवाह बनाता हूँ और मैं तेरे फरिश्तों और तेरा अर्श उठाने वालों को गवाह बनाता हूँ, तथा उन सब को गवाह बनाता हूँ जो आकाशों में हैं और जो धरती में हैं कि तू ही अल्लाह है, तेरे सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं, तू अकेला है, तेरा कोई साझी नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि निःसंदेह मुहम्मद तेरे बंदे और रसूल हैं” हा है

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