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चौथा : अल्लाह सर्वशक्तिमान आपके पश्चाताप करने और उसकी ओर ध्यानमग्न होने से ख़ुश होता है, चाहे आप अपने पापों के कारण कितना ही दूर क्यों न हों इसलिए आप इस बात से सावधान रहें कि आपके मन में दुआ की स्वीकृति के असंभव होने या उसकी दया से निराश होने की बात आए बल्कि आप इस बात को अपने सामने रखें कि वह आपकी तौबा से तथा आपके उसकी ओर मुतवज्जेह होने से ख़ुश होता है आप उसके इस कथन को समाने रखें : ﴿إِنَّ ٱللَّهَ يَغۡفِرُ ٱلذُّنُوبَ جَمِيعًاۚ) “निःसंदेह अल्लाह सभी पापों को क्षमा कर देता है” तथा इस फरमान को : (وَإِذَا سَأَلَكَ عِبَادِي عَنِّي فَإِنِّي قَرِيبٌ ۖ أُجِيبُ دَعْوَةَ الدَّاعِ إِذَا دَعَانِ) “और जब मेरे बंदे आपसे मेरे बारे में पूछें, तो निःसंदेह मैं क़रीब हूँ, मैं पुकारने वाले की दुआ क़बूल करता हूँ, जब वह मुझे पुकारता है” 

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