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(بِسْمِ اللَّهِ الَّذِي لَا يَضُرُّ مَعَ اسْمِهِ شَيْءٌ، فِي الْأَرْضِ، وَلَا فِي السَّمَاءِ، وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ)
{يقولها ۳ مَرَّات}

“बिस्मिल्लाहिल्लज़ी ला यज़ुर्रो मअ़स्मिहि शैउन् फ़िल् अर्ज़ि वला फ़िस्समाए, व हुवस्स-मीउल् अ़लीम”

“मैं अल्लाह की शरण चाहता हूँ जिसके महान नाम के उल्लेख के साथ धरती और आकाश में कोई चीज़ नुक़सान नहीं पहुँचा सकती और वह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है”

(इसे तीन बार पढ़े)

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