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بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ ﴿قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ ١ اللَّهُ الصَّمَدُ ٢ لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ ٣ وَلَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُوًا أَحَدٌ ٤﴾
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ ﴿قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ١ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ ٢ وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ٣ وَمِنْ شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ ٤ وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ ٥﴾
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ ﴿قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ ١ مَلِكِ النَّاسِ ٢ إِلَهِ النَّاسِ ٣ مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ ٤ الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ ٥ مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ ٦﴾

قراءة سورة الإخلاص والمعوذتين ثم النفث باليدين ومسح موضع الألم ويفعل ذلك ۳ مرات

सूरतुल इख्लास और मुऔवज़तैन यानी सूरतुल फ़लक़ और सूरतुन्नास पढ़ना, फिर दोनों हथेलियों में फूँककर दर्द की जगह पर फेरना, और ऐसा 3 बार करें

“(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : वह अल्लाह एक है अल्लाह बेनियाज़ है न उसकी कोई संतान है और न वह किसी की संतान है और न कोई उसका समकक्ष है”

“(ऐ नबी!) कह दीजिए : मैं सुबह के पालनहार की शरण लेता हूँ उस चीज़ की बुराई से, जो उसने पैदा की तथा अंधेरी रात की बुराई से, जब वह छा जाए तथा गाँठों में फूँकने वालियों की बुराई से तथा ईर्ष्या करने वाले की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे”

“(ऐ नबी!) कह दीजिए : मैं शरण लेता हूँ लोगों के पालनहार की लोगों के बादशाह की लोगों के सत्य पूज्य की वसवसा डालने वाले, पीछे हट जाने वाले की बुराई से जो लोगों के दिलों में वसवसे डालता है जिन्नों और इनसानों में से”

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