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(أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ){۳ مرات}

“अऊज़ो बि-कलिमातिल्लाहित्ताम्माति मिन् शर्रि मा ख़लक़”

“मैं अल्लाह के परिपूर्ण शब्दों (यानी उसके सुंदर नामों एवं सर्वोच्च विशेषताओं) के द्वारा शरण लेता हूँ उसकी पैदा की हुई समस्त चीज़ों की बुराई से”

तीन बार

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