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(أَمْسَيْنَا وَأَمْسَى الْمُلْكُ لِلَّهِ، وَالْحَمْدُ لِلَّهِ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ، اللَّهُمَّ إِنِّي أسْأَلُكَ خَيْرِ مَا فِي هَذَه الْليلة، وَخَيْر مَا بعدِها، وَأَعُوذُ بِك مِنْ شَرِّ مَا فِي هَذه الليلة، وَشَر مَا بَعْدِها، اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الْكَسَلِ، وَالْهَرَمِ، وَسُوءِ الْكِبَرِ، وَفِتْنَةِ الدُّنْيَا، وَعَذَابِ الْقَبْر)

“अम्सैना व अम्सल-मुल्कु लिल्लाह, वल-ह़म्दु लिल्लाह, ला इलाहा इल-लल्लाहु वह़्दहू ला शरीका लहू, अल्लाहुम्मा इन्नी अस्अलुका ख़ैरा मा फी हाज़िहिल्-लैलह, व ख़ैरा मा बा’दिहा, व-अऊज़ो बिका मिन शर्रि मा फी हाज़िहिल्-लैलह, व-शर्रि मा बा’दिहा। अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ो बिका मिनल क-सलि वल-हरमि व-सूइल-किबर, व फ़ित्नतिद-दुन्या, व अज़ाबिल-क़ब्र”

हमने शाम की और अल्लाह के राज्य ने शाम की, और सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है अल्लाह के सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं ऐ अल्लाह! मैं तुझसे इस रात की भलाई और इसके बाद की भलाई माँगता हूँ तथा मैं तेरी शरण चाहता हूँ इस रात की बुराई से और इसके बाद की बुराई से ऐ अल्लाह! मैं आलस्य, बुढ़ापे, बुढ़ापे की बुराई (या अहंकार की बुराई), दुनिया के फ़ित्ने (परीक्षण) और क़ब्र की यातना से तेरी शरण लेता हूँ

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