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(أمسينا على فطرة الإسلام، وَكَلِمَةِ الْإِخْلَاصِ، وَدِينِ نَبِيِّنَا مُحَمَّدٍ - صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ - وَمِلَّةِ أَبِينَا إِبْرَاهِيمَ حَنِيفًا، وَمَا كَانَ مِنْ الْمُشْرِكِينَ)
“अम्सैना अला फितरतिल इस्लामि, व कलिमतिल-इख़्लासि, व दीनि नबिय्यिना मुह़म्मदिन – सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम - व मिल्लति अबीना इबराहीमा ह़नीफा, वमा काना मिनल-मुश्रिकीन”
“हमने इस्लाम की फ़ितरत (अर्थात् इस्लाम के सच्चे धर्म), इख़्लास के कलिमा (यानी अल्लाह के एकेश्वरवाद के शब्द “ला इलाहा इल्लल्लाह”), अपने नबी मुहम्मद - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम - के धर्म और अपने पिता इबराहीम – अलैहिस्सलाम - के पंथ पर शाम की, जो शिर्क से अलग होकर इस्लाम की ओर एकाग्रचित्त थे, और वह बहुदेववादियों में से न थे”